सनातन (भारतीय) संविधान भाग १ और २
वर्तमान भारतवर्ष में, करीब 525 साल पुरानी हिंदु उप-सभ्यता के 80 % भारतीय ग्राम व हिंदुस्तानी (Indian) लोग, हिंदुग्रेज बन जाने में गर्व महसूस करते है पर सनातन (भारतीय) सभ्यता संस्कृति के वैदिक ग्राम, ग्रामीण समाज व भारतीय (आर्य) 1,96,08,53,124 वर्षों से, पूर्ण रूप से आध्यात्मिक साधक, आत्म-गुरु, विश्वगुरु, स्वतंत्र, स्वदेशी, श्रीमंत, आत्म-नियंत्रक, आत्मरक्षक, आत्म-न्यायी, स्वावलंबी व आत्मनिर्भर होकर, स्वयं के स्वराज्य में सुख, शांति, समृद्धि, प्रेम, आनंद में रहा करते थे पर भारतवर्ष पिछले 525 वर्षों से पुर्तगाल के समुद्री लूटेरा वास्को डी गामा (सन-1498) से लेकर अबतक पश्चात आक्रांताओं की गुलामी से, स्वतन्त्र नही होकर, सनातन संविधान ( प्रकृति के सिद्धांत ) अथवा भारत के संविधान को अंगीकार नही किया है क्यों ? कैसे ? किस कारण ? और इसका सम्पूर्ण समाधान क्या, क्यों, कैसे, किस प्रकार का है ? यही वेद विज्ञान – सनातन (भारतीय) संविधान धर्मग्रंथ के माध्यम से लेखक द्वारा बताया गया है । साथ ही साथ विश्व में चल रहे शैतानी षड्यंत्रों ( कोविड – 19 झूठी महामारी, इवेंट – 201, नई वैश्विक व्यवस्था (NWO), पेंडामिक ट्रीटी, जॉर्जिया गाईड लाईन स्टोन, पब्लिक हेल्थ बिल, कृषि बिल, भूमि अधिग्रहण कानून आदि सहित 5G, केमट्रेल, हार्प आदि तकनीकों ) के विषय में भी लेखक ने पर्दाफाश करते हुए, भारत देश के सभी समस्याओं का सम्पूर्ण समाधान बताकर, सनातन भारतीय संविधान को ही भारत का संविधान घोषित करने के लिए, भारतीयों से आग्रह किया है व सुझाव भी मांगा है जिसका प्रकाशन पूर्ण रूप से समर्थन देता है।