गांधी-नेहरू की छाया में
अब हमारा यह निश्चय है कि वर्तमान पुस्तक श्री जवाहरलाल नेहरू तथा महात्मा गांधी के जीवन कार्यों और उनके विचारों पर ही लिखी जाए। हम यह देख रहे हैं कि अभी तक कांग्रेस और भारत सरकार, श्री नेहरू और गांधी जी के नामों की माला जपते हुए भारत की नौका को डुबोने का प्रयास कर रही है। आज भी देश की राष्ट्रभाषा के विषय में नेहरू जी के नाम की दुहाई देकर राष्ट्रभाषा और राष्ट्र की शिक्षा का सत्यनाश किया जा रहा है। अभी तक देश में ऐसे लोग हैं, जो यह समझ रहे हैं कि यदि जवाहरलाल जी न होते तो भारत को, प्रथम स्वराज्य ही न मिलता और यदि मिलता तो देश तुरन्त रसातल को पहुँच जाता।
ऐसे भोले-भाले देशवासियों की ज्ञानवृद्धि के लिए और धूर्त एवं स्वार्थियों को नेहरू जी की आड़ लेकर अपना उल्लू सीधा करने से रोकने के लिए वर्तमान पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में स्वराज्य काल में नेहरू जी की पड़ रही परछाईं के घातक परिणामों पर भी प्रकाश डालने का यत्न किया है।
— गुरुदत्त